आदिगंगा माँ ताप्ती की स्तुति – ताप्ती स्तवन

सभी तापो, दुःखो से मुक्ति पाने के लिए माँ ताप्ती की स्तुति से अच्छा कोई साधन नहीं हो सकता। -Tapti Stavan

*माँ ताप्ती स्तवन*

*Tapti Stavan* 

शुद्ध संतुष्टि, संपुष्टि, तापी त्रैताप निवारिणी । पुण्य सलिला महा पर्वे, परम शांति प्रदायिनी ।।

चिंताहारिणि सूर्यसूता, सर्व दुःख विदारिणी । यम भगिनि विश्वमान्या, देवमान्या महाकृतिः ।।

ओ  माँ तापी ताप हरो, मेरे मन के पाप हरो। 

गंगा से जो नहा के आवे, जमुना के जो पान करावे,

दर्शन करने नर्मदा जावे, उतना पुण्य ही तेरे स्मरण में। 

अवगुण चित्त ना धरो, ओ  माँ तापी ताप हरो, मेरे मन के पाप हरो।।  

 

नूरत-सूरत की भेंटा हुई गई, वहाँ पे दिखते मेरे सांई। 

दत्त-दत्त की धुन मचाई, नर-नारायण में फैलाई। 

तुम्हरे नाम से सब जग उद्धरे, जन्म-मरण के संकट टारो। 

ओ  माँ तापी ताप हरो, मेरे मन के पाप हरो।।  

 

त्रिविध ताप और त्रिविध ईशना, मिथ्या है सब मन की कल्पना। 

इनको दूर करो। ओ  माँ तापी ताप हरो, मेरे मन के पाप हरो।।  

 

अति प्राचीन शिवलिंग पुराना, जाको वेद करही गुन गाना। 

सोहम् हंसो एक ठिकाना, विश्वनाथ भजे रंग गुरू को। 

हे गुरु कृपा दृष्टि करों। ओ  माँ तापी ताप हरो, मेरे मन के पाप हरो।।  

 

ताप्ती जी की आरती के लिए इसे टच करें

Related Articles

Back to top button